चण्डीगढ़
आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में परमात्मा के विधान से अपरिचित होने के कारण यह प्राणी इस दुःखों के घर संसार में महान कष्ट झेल रहा है और इसी को सुख स्थान मान रहा है। श्रीमदभगवत गीता जी में भगवान ने जिस परम धाम और परम शांति की बात की है उसकी प्राप्ति तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से ही हो सकती है। ये प्रवचन गुलाटी भवन सैक्टर 33 ऐ चण्डीगढ़ में आयोजित एक दिवसीय कबीरपंथी समागम में संत रामपाल जी महाराज सतलोक आश्रम, बरवाला ने रिकार्डेड सत्संग करते हुए कहे। उन्होनें बताया कि मानव जीवन परमात्मा की शास्त्राविधि अनुसार साधना करके मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्राप्त होता है। पाप कर्म का कष्ट भक्ति में बाधा करता है। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेने के पश्चात् परमेश्वर उस भक्त के उपरोक्त कष्ट समाप्त कर देता है।
संसार के गूढ रहस्य को पूर्ण संत ही बता सकते हैं।
संसार के गूढ रहस्य को पूर्ण संत ही बता सकते हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा समाज और मानवता की सेवा के लिए शुरू किए गए अभियान का जिक्र करते हुए उनके भक्तों ने कहा कि संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे समाज की अवधारणा को साकार कर रहे थे जिसमें पूरे देश में हजारों दहेज मुक्त विवाह करवाए जाते हैं । संत रामपाल जी महाराज का मुख्य लक्ष्य है धर्मग्रंथों के अनुसार शास्त्र अनूकूल साधना की शिक्षा देकर समाज को नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, पाखंड मुक्त, अश्लीलता मुक्त बनाना और सच्ची भक्ति करवाना। इस अभियान के तहत राज्य स्तर पर रक्तदान शिविर लगाने, नशे के खिलाफ जागृति अभियान, दहेज और फजूल खर्ची मुक्त विवाह की व्यवस्था करने और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोगों में जागरूकता पैदा करने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर कोऑर्डिनेटर प्रेम दास, सुखदेव खटाना सहित पूरे चण्डीगढ़ से सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।