बेटी, बहु एंव सास तीनों बनी एक दूसरे की ढाल

  • दूसरो को खुशी बांटकर मिलती है  ख़ुशी
  • अच्छे संस्कार और सच्ची लगन महिलाओ को बुलंदिया छूने से  नहीं  रोक सकती

Chandigarh

 जिंदगी में महिलाओ के जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते है अगर महिलाए सच्ची लगन एवं अपनी  मेहनत  से किसी कार्य को करने की ठान ले तो  वो सब कुछ कर सकती है यह बात पंचकूला की रहने वाली मशहूर समाज सेविका पूनम सहगल एवं उनकी पुत्री ज्योति सहगल एंव बहु पारिका सहगल  ने अपने जीवन में किये संघर्ष को समाज की भलाई के लिए समर्पित करते हुए कही |  उन्होंने बताया कि हर कार्य को हम तीनों एक दूसरे की मदद से मिलकर करते हैं। पूूूनम सहगल ने बताया कि लोग अक्सर कहते हैं मेरी बेेटी मेेेरा अभिमान पर मैं कहती हूँ मरी बहु मेेेेरा अभिमान। पारीका सहगल ने बताया कि उन्हें शाादी केे बाद कभी अपने मायके की याद नही आई। उनको अपनी सास मे कभी सास नजर नहीं आई हमेेशा एक माां का ही पयार मिला।
(पूनम सहगल )  पूनम सहगल ने बताया की  मेरी सामजिक कार्य की शुरुआत मेरी शादी के बाद शुरू हुई | मन में इच्छा पैदा हुई की  मैं  अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा करू जिससे लोगो के आशीर्वाद और दुआए मिले | शादी से पहले एक बहुत ही  संघर्षपूर्ण  जिंदगी जीने के कारण  मेरे मन में हमेशा से लोगो के लिए कुछ करने की इच्छा जागती थी और यह इच्छा मेरी शादी के बाद पूरी हुई |  मेरी शादी के बाद अपने ससुर एवं पति की आज्ञा लेकर मैंने बिउटीशन का कोर्स बड़ी ही लगन एवं मेहनत से पूरा किया किया और  हरियाणा वीमेन डेवेलपमेंट की तरफ से मैंने उसमे टॉप किया | वही से मुझे जॉब के कई ऑफर्स आए पर मन में अपना खुद का काम करने की इच्छा थी और मैंने अपने ही घर में एक छोटा सा पार्लर खोल लिया देखते ही देखते वह बहुत अच्छा  चलने लग गया |
फिर मन में इच्छा थी  की जिस तरह मैंने खुद को अपने पैरो पर खड़ा किया है उसी प्रकार  मैं बाकी लड़कियों और महिलाओ के लिए कुछ कर सकु ताकि वह भी अपने पैरो पर खड़ी हो सके और समाज में अपना नाम रोशन कर सके ताकि वक़्त कैसा भी हो अपने परिवार का सहारा बन सके | क्युकी बचपन में जब मैं  बहुत छोटी थी तब पिता जी का साया सर से उठ गया  तब हम पांच बहने एवं एक भाई  था  और पिता जी का साया सर से उठ जाने पर अकेली माँ को परिवार चलाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ी | उसे देखकर मन बहुत दुखी होता था | एक दिन भगवान् ने मेरी सुनी  और मुझे गवरमेंट से सेण्टर खोलने की आज्ञा दी गई जिसमे लड़कियों एवं महिलाओ को पार्लर के कोर्स सिखाए जाए | मैंने बड़ी ही मेहनत एवं लगन से ६-६ महीने के कोर्स शुरू किये और तकरीबन २०० से अधिक लड़कियों को सिखाया और उन्हें भी चंडीगढ़ , मोहाली , पंचकूला , रोपड़ , मोरिंडा आदि जैसी कई जगह पर सेण्टर खोलकर दिए |
इसके बाद मैंने पेंटिंग , कुकिंग , आर्ट एंड क्राफ्ट , सिलाई कड़ाई आदि जैसे कई कोर्स शुरू किये | आज जब मई उन सब महिलाओ को अपना व्यवसाय करते हुए देखती हु तो खुशी से आंसू निकल आते है की भगवन ने मेरे हाथो कुछ नेक कार्य करवाया उसके बाद तो बस हर समय जिस जगह भी समाज में सामजिक , धार्मिक किसी भी तरह से सेवा करने का मौका मिलता है मैं हमेशा हर कार्य के लिए  ततपर तैयार रहती हु | मैं कई  सालो से साई की सेवा में भी लगी हुई हु और निशुल्क साई भजन संध्या भी करती हु | अभी  तक २ से ३ हजार मुफ्त साई संध्या कर चुकी हु | धीरे धीर मेरे साथ बहुत सी महिलाए भी जुड़ने लगी और आज महिलाओ के लिए मैंने एक क्लब भी बनाया जिसका नाम रेनबो लेडीज क्लब है जिसमे ट्राइसिटी की सेकड़ो महिलाए जुडी हुई  है|
इसमें हर उम्र की महिला एवं लड़किया है यह एक क्लब न होकर हमरे लिए एक परिवार है जहां पर महिलाओ के साथ साथ उनके बच्चो को भी कई तरह के प्लेटफार्म दिए गए | इस क्लब की ख़ास बात यह है की यह समाजिक , धार्मिक , सांस्कृतिक हर तरह के कार्य तो करता ही है उसके साथ साथ उन महिलाओ को अपना हुनर दिखाने का हर मौका देता है जो किसी कारण वंश आगे नहीं बड़ी और उनके अंदर हुनर होते हुए भी उसे कभी सामने नहीं ला सकी | आज हर महिला हर तरह के समाजिक , धार्मिक कार्य करने में हमारे साथ रहती है | गरीब लड़की की शादी करना, बच्चो को किताबे, जुराबे , स्वेटर , शूज , बोतल ,  खाने पीने का सामान , जैसी  हर जरूरत का समान देना , ब्लड डोनेशन कैंप लगाना , ग्रीन प्लांटेशन , आदि जैसे कई सामाजिक कार्य हम इन सबके सहयोग से  करते है | आज मुझे गर्व है की मैंने पिछले तीन साल में 7000 के करीब किताबे बाँट चुकी हु | मेरे सामाजिक कार्य को देखकर मुझे बहुत सी संस्थाओ ने प्रेजिडेंट , वाईस प्रेजिडेंट , स्टेट इंचार्ज बनाया हुआ है | मेरे कार्यो को देखकर मुझे 26 जनवरी को हरियाणा के गवर्नर ने भी सम्मानित किया हुआ है मुझे कई नेशनल एवं स्टेट अवार्ड भी मिल चुके है | मैं और मेरी बेटी हर कार्य को  बहुत खूबी से करते है  मेरी बेटी ने हर कदम पर मेरा साथ दिया |
परिवार के साथ ने आज मुझे कहा  से कहा लाकर खड़ा कर दिया |  मेरे पति एवं बच्चो ने मेरा  बहुत साथ दिया अगर मैं  आज कुछ भी हु तो सिर्फ अपने परिवार के सहयोग से हु |
(ज्योति सहगल ) ज्योति सहगल ने बताया की  बाल अवस्था से ही उनके मन में लोगो और देश की सेवा करने का भाव था और उनके परिवार में उनके पिता एवं माता द्वारा दिए गए संस्कार के कारण ही उनको हौसला मिला और आज जो भी है सब उनके दिए संस्कारो के कारण है | उन्होंने ने बताया की जब उन्होंने समाज की सेवा करने का कार्य शुरू किया तो उन्हें बहुत सी कठिनाईओ का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हिमत नहीं हारी और लोगो की बातो को नजर अंदाज करते हुए सिर्फ अपने कार्यो पर ही धयान दिया उनके बड़े भाई दीपक ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया उनकी भाभी पारीका ने भी एक बड़ी बहन की तरह सपोर्ट किया | ज्योति सहगल ने बताया की जब उनकी माँ काम करती थी तब वह बहुत छोटी थी और परिवार में अकेली लड़की होने के नाते उन्होंने ने अपनी जिमेवारी को पूरी लगन से निभाया | स्कूल से आने के बाद अपने एवं अपने भाई का खाना बनाना , कपडे बदलना , बर्तन धोना जैसे सभी घरेलु काम वह खुद करती थी | जैसे जैसे उम्र बड़ी उन्होंने अपनी माँ के काम में भी उनका साथ देना शुरू  कर दिया पढ़ाई  के साथ साथ हर कार्य में अपनी माँ की सहायता करने लगी | आज वह और उनकी माता जी हर कार्य  मिलकर करती है |
बचपन से ही मैंने दूसरो को खुश देखकर अपनी अंदर खुशी महसूस की | बुजुर्गो के साथ ओल्ड ऐज होम में जाकर समय बिताती हु ताकि उन्हें अपने बच्चो की कमी महसूस ना  हो |  अपनी पॉकेट मनी से कई बार गरीब बच्चो की खाने पीने का सामान दिलवाया | कभी भी किसी ने किसी भी तरह की मदद मांगी तो जितना हो सके उसकी मदद की | ज्योति  का कहना है की उनके परिवार में जिस तरह से  उन्होंने सबको मेहनत करते देखा आज उन्ही संस्कारो की वजह से वह यहां तक पहुंच पाई है | ज्योति सहगल को भी कई नेशनल , एवं स्टेट  अवार्ड से नवाजा जा चूका है |  वह  अपने सभी साथी दोस्तों , अपने माता पिता अपने बड़े भाई भाभी का दिल से शुक्रिया ऐडा करती है जिनकी वजह से आज वह इस मुकाम पर है की समाज में उनको इतना प्यार दिया जा रहा है |

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