- अहंकार की हार और आपसी एकता, अखंडता और जनशक्ति की जीत का प्रतीक है कृषि कानूनों की वापसी-बरसट
- पार्टी दफ्तर में श्री सुखमनी साहिब के पाठ करवाकर अन्नदाता की चढ़ती कला के लिए की प्रार्थना
- भारत में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह ही 19 नवंबर बना सुनहरा दिन- ‘आप’
चंडीगढ़,
आपसी एकता, एकजुटता, धैर्य, शांति और भारतीय संविधान के दायरे में रहकर लगभग एक वर्ष तक चले एतिहासिक किसानी संघर्ष के सामने केंद्र सरकार के अहंकार की हार और अन्नदाता समेत लोकतंत्र की जीत पर आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को पंजाब भर में धन्यावाद के तौर पर श्री सुखमनी साहिब के पाठ कराए और किसानी संघर्ष के दौरान शहीद हुए किसान-मजदूरों और महिला शक्ति की याद में प्रार्थना की।
पार्टी मुख्यालय से जारी बयान में आप के प्रदेश महासचिव हरचंद सिंह बरसट और प्रदेश सचिव गगनदीप सिंह चड्ढा ने बताया कि भारतीय इतिहास में 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह 19 नवंबर को भी एक सुनहरे दिन के तौर पर याद किया जाएगा, क्योंकि यह सिर्फ अन्नदाता की जीत का प्रतीक नहीं बल्कि भारतीय संविधान और असल संघीय ढांचे के सिद्धांत और संकल्प से खिसकते लोकतंत्र को दोबारा पटरी पर चढ़ाने का शुभ संकेत भी है।
बरसट और चड्ढा ने बताया कि चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय समेत पटियाला, संगरूर, बठिंडा, बरनाला, फरीदकोट, फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, होशियारपुर और रोपड़ समेत अन्य जिलों और तहसीलों में पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों ने धन्यावाद के तौर पर श्री सुखमनी साहिब के पाठ करवाए और किसानी संघर्ष के शहीदों को समर्पित अरदास की। यह भी अरदास की गई कि अपने हक और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे अन्नदाता को ईश्वर सदैव इसी प्रकार चढ़ती कला, धैर्य और शांति बख्शें।
‘आप’ नेताओं ने पंजाब समेत देश भर के नागारियों से अपील की है कि वे भारतीय संविधान, संघीय ढांचे और लोगों के हक-अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक संघर्ष को सम्मान और समर्थन देने में कभी भी पीछे न रहें और ऐसे संघर्षों को धर्म, जात-पात और क्षेत्रवाद के आधार पर बांटने वाली सांप्रदायिक और मौकापरस्त सियासी ताकतों से सजग रहें।
चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में श्री सुखमनी साहिब के पाठ और अरदास के मौके पर अन्य नेताओं में एडवोकेट अमरदीप कौर, कश्मीर कौर, प्रभजोत कौर, अनु बबर, गुरमेल सिंह सिद्धू, मलविंदर सिंह कंग, कुलजीत सिंह रंधावा डेराबसी, जसपाल सिंह काउनी, सरबजीत सिंह पंधेर, प्रीतपाल सिंह, गुरिंदर सिंह कैरों, मनजीत सिंह घुम्मन, परमिंदर गोल्डी, वरिंदर सिंह बेदी, गुरमख सिंह मान समेत अन्य नेता और वालंटियर उपस्थित रहे।