केजरीवाल ने पंजाबियों के लिए दिल्ली का नाकाम स्वास्थ्य मॉडल पेश किया – बलबीर सिद्धू

  • मुहल्ला क्लीनिक साबित हुए अनावश्यक ; महामारी के दौरान कोई कोविड सहायता नहीं की गई मुहैया
  • दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने कोविड मरीज़ों के लिए बुरे प्रबंधों के कारण पूरी दुनिया में देश का अक्स ख़राब किया
  • पंजाब ने प्राइमरी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के लिए स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती केन्द्रों को कार्यशील बनाकर पूरे देश का नेतृत्व किया


डीएन सिंह मोहाली

केजरीवाल के अपने कथित स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को असफल स्वास्थ्य मॉडलों में से एक करार देते हुये पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को आड़े हाथों लिया, जो आगामी विधान सभा मतदान के मद्देनज़र पंजाब के दौरे पर थे। श्री सिद्धू ने कहा कि यह बड़ा शर्मनाक है कि कोविड स्थिति के दौरान किये बुरे प्रबंधन के कारण देश का अक्स बिगाड़ने के बाद भी श्री केजरीवाल ने फिर झूठा दांवा किया कि वह पंजाब में दिल्ली के नाकाम मॉडल को लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली सरकार अपने नागरिकों को इलाज मुहैया करवाने में नाकाम रही थी तो उस वक्त पंजाब सरकार ने आगे होकर दिल्ली के कोविड मरीज़ों का हाथ थामा और खुले दिल से सभी इलाज सेवाएं मुहैया करवायी

थी। ‘आप’ नेता की तरफ से उनकी सरकार बनने पर पंजाब में सभी को मुफ़्त स्वास्थ्य सहूलतें मुहैया करवाने के दांवों पर तीखा प्रतिक्रिया देते हुये उन्होंने कहा कि अगर पंजाब में स्वास्थ्य सहूलतों की कमी है तो दिल्ली के लोग महामारी के दौरान इलाज सेवाएं लेने के लिए पंजाब क्यों आए थे। श्री सिद्धू ने बताया कि 19 सितम्बर, 2021 तक सरबत सेहत बीमा योजना के अंतर्गत 980.52 करोड़ रुपए के खर्चे से तकरीबन 8,44,073 मरीज़ों का इलाज किया गया। सरबत सेहत बीमा योजना, जिसके अंतर्गत नकद रहित इलाज मुहैया करवाया जा रहा है, सम्बन्धी और जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी ने फरवरी 2021 महीने में ई-कार्ड बनाने की मुहिम शुरू की थी और ज़िला प्रशासन के सक्रिय सम्मिलन के द्वारा गाँव स्तर पर ई-कार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाई गई थी। 3-4महीनों की मियाद के अंदर सरबत सेहत बीमा योजना के अधीन आते परिवारों की प्रतिशतता 53 फीसदी से बढ़कर 86 फीसदी हो गई है। मुहल्ला क्लीनिकों को व्यर्थ घोषित करना बेकार स्रोत हैं क्योंकि महामारी के दौरान प्रभावित मरीजों को मुहैया करवाई गई एक भी कोविड देखभाल सुविधा और मुहल्ला क्लीनिक गंभीर मरीजों के साथ निपट नहीं सकते। यह पार्ट-टाईम कम्यूनिटी सेवा के लिए है जहाँ प्राईवेट डाक्टर आते हैं और मरीजों को अपनी मर्ज़ी से कुछ घंटों के लिए देखते हैं। श्री सिद्धू ने कहा कि माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने कई बार केजरीवाल सरकार को कोविड प्रबंधन की कमी से निपटने और ख़ास कर आक्सीजन संकट से निपटने की भी आलोचना की है। हालाँकि, आक्सीजन की कमी के कारण पंजाब में एक भी मौत नहीं हुई। मुहल्ला क्लिनिकों की तुलना में स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती केंद्र राज्य भर में व्यापक स्वास्थ्य सहूलतें प्रदान करने के लिए वरदान साबित हो रहे हैं, श्री सिद्धू ने कहा कि पंजाब ने स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती केंद्रों को सक्रियता से चलाने में नेतृत्व किया है जहाँ कम्युनिटी हैल्थ अफसरों की तरफ से मरीजों को 27 स्वास्थ्य सहूलतें और मुफ़्त दवाएँ मुहैया करवाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती केंद्रों ने महामारी के दौरान मुख्य भूमिका निभाई थी क्योंकि कोविड के बाद के मरीजों को कोविड टेस्टिंग और घर में एकांतवास रखे मरीजों को स्वास्थ्य सहूलतें निरंतर मुहैया करवाई जाती थीं। शक्की मरीजों की पहचान के लिए सीएचओज की निगरानी अधीन स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती केंद्र की तरफ से सभी जांच मुहिमें लागू की गई थी।

श्री सिद्धू ने कहा कि पंजाब की बेहतर स्वास्थ्य सहूलतों पर सवाल उठाने से पहले, उन (आप नेताओं) को आत्म-विश्लेषण करना चाहिए कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में क्या किया जहाँ हजारों लोग इलाज की कमी के कारण सड़कें पर मरे गए और आक्सीजन की कमी करके अस्पतालों में बिलखते रहे। दिल्ली की आम आदमी पार्टी के जन-समर्थकी सरकार के दांवों को रद्द करते हुये श्री सिद्धू ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने किसी मुकम्मल तैयारी से और लोगों को सूचित किये बिना जानबूझ कर तालाबन्दी की थी क्योंकि वह जरूरतमंद प्रवासियों को स्वास्थ्य सहूलतें और भोजन मुहैया करवाने के लिए समर्थ नहीं थे।

 

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