अब समाचारपत्रों की रिपोर्टिंग पर निगाह रखने लगी भाजपा सरकार: योगेश्वर शर्मा

  • कहा: यह सीधा सीधा लोकतंत्र में पत्रकारों व विपक्ष की आबाज को दबाने का षडयंत्र है
  • यह भी कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को धाराशायी कर रही है भाजपा सरकार

डीएन सिंह पंचकूला

आम आदमी पार्टी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अब आम आदमी के साथ साथ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानि मीडिया को भी दबनाने का काम शुरु कर दिया है। पार्टी का कहना है कि पहले ही विज्ञापन देने के मामले में भेदभाव कर रही हरियाणा की सरकार ने अब पत्रकारों की रिपोर्टरिंग पर भी नजर रखने का काम शुरु कर दिया है।
आज यहां जारी एक ब्यान में पार्टी के उत्तरी हरियाणा जोन के सचिव योगेश्वर शर्मा ने हरियाणा सरकार के महानिदेशक सूचना जनसपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से राज्य के सभी जिला सूचना एवं जनसपंर्क अधिकारियों को भेजे गये पत्र क्रमांक सू.ज.वि.ह.(वि.)-2021/885 दिनांक चंडीगढ़ 1 जुलाई 2021 का हवाला दिया है जिसमें जिलेवार स्थानीय समाचार पत्रों की जानकारी मांगी गई है। उन्होंने कहा कि इसमें सभी जिला लोकसंपर्क अधिकारियों से अन्य के आलावा यह भी जानकारी मांगी गई है कि पिछले छह माह में स्थानीय समाचारपत्र सरकार के  पक्ष में और खिलाफ कितने कितने समाचार छापे गये हैं। यह सूचना सीधे विज्ञापन शाखा को उपलब्ध करवाने को कहा गया है। इसके लिए वकायदा एक पोफार्मा दिया गया जिसमें समाचारपत्र के बारे में तथा उसमें छपी ,खबरों के बारे में पूरा विवरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि इसका सीधा सा मतलब यही है कि अब सरकार समाचारपत्रों पर नजर रखेगी कि किसने सरकार के पक्ष में तथा किसने खिलाफ समाचार प्रकाशित किये हैं। और ऐसा कर खिलाफ लिखने वाले समाचारपत्रों के विज्ञापन बंद करने की सरकार की मंशा साफ नजर आ रही है।

उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ समाचारपत्रों उसके पत्रकारों की आजादी पर सीधा हमला है बल्कि विपक्ष की आवाज दबाने का भी रास्ता अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह अच्छे से पता है कि उसका पिछले कई सालों का रिकार्ड ठीक नहीं है और आमजन में उसकी छवि कोई अच्छी नहीं है। हर आम आदमी अपने अपने अधिकारों के लिए इस सरकार से नाराज होने के चलते संघर्ष कर रहा है। जिसकी लड़ाई विपक्ष लड़ रहा है। ऐसे में यह सरकार चाहती है कि समाचारपत्र विपक्ष या आम आदमी की आवाज को उठाने की बजाये दबा दें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यह सब कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत इस फैसले को वापिस लेना चाहिए। क्योंकि सरकार पहले ही पत्रकारों से काफी भेदभाव कर रही है और उनको दी जाने वाली सुविधाओं पर धीरे धीरे अंकुश लगा रही है। जैसे मानयता देने में नीयम सख्त करना ताकि ज्यादातर पत्रकारों को मान्यता मिल ही न सके। विज्ञापन देने के मामले में भी सरकार की नीयत साफ नहीं है और छोटे व साप्ताहिक समाचापत्रों को मिलने वाले विज्ञापनों में भी भेदभाव किया जाता है।

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